एक दिन बादशाह अकबर अपने दरबार में बैठे थे। उनके चेहरे पर हल्की चिंता साफ़ दिखाई दे रही थी। तभी बीरबल दरबार में आए और बादशाह अकबर से बोले, “जहाँपनाह, आप इतने परेशान क्यों दिख रहे हैं?”
अकबर बोले, “बीरबल, मैंने सुना है कि हमारे महल के कुछ सिपाही अपना काम ठीक तरह से नहीं कर रहे है।
और मैं ऐसे कामचोर सिपाहियों का पता लगाकर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देना चाहता हूँ । ताकि भविष्य में कोई सिपाही ऐसी लापरवाही न करे।
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, जहाँपनाह, उनका पता लगाना तो बहुत आसान है।
इस समस्या का हल तो मैं आज ही कर दूँगा।”
फिर बीरबल ने महल के सभी सिपाहियों को बुलवाया और उनसे कहा, मैं एक चमत्कारी तेल लेकर आया हूँ। यह तेल कामचोरो को तुरंत पकड़ लेता है। जो सिपाही दोषी है, उसके हाथ काले हो जाएंगे।”
फिर बीरबल ने दरबार में तेल की मटकी रखी और सभी सिपाहियों से कहा, “सब लोग अपनी-अपनी हथेलियाँ इस मटकी में डालकर बाहर निकालें “।
मैं कल सुबह देखूँगा कि किस किस के हाथ काले हुए हैं।
फिर सभी सिपाही एक-एक करके मटकी में हाथ डालने लगे। हालांकि, कामचोर सिपाही डर गया और उसने सबकी नजरो से बचते हुए तेल की मटकी को हाथ नहीं लगाया।
अगले दिन बीरबल ने सभी सिपाहियों को बुलाया और एक एक करके उन सभी सिपाहियों के हाथ देखे। और तभी बीरबल ने बादशाह से कहा, “जहाँपनाह, चोर पकड़ा गया “।
अकबर ने हैरानी से बीरबल की और देखते हुए पूछा, “वो कौन है? हमे जल्दी बताओ? जो अपनी पहरेदारी में लापरवाही कर रहा था”।
बीरबल ने अकबर को समझाते हुए कहा, जहाँपनाह, बाकी सभी सिपाहियों के हाथों में तेल लगा है क्योंकि उन्होंने ईमानदारी से मटकी में हाथ डाला था, लेकिन इस सिपाही के हाथ बिलकुल साफ हैं क्योंकि इसने डर के कारण मटकी को हाथ नहीं लगाया था। जिससे यह पता लगता है कि यही वो सिपाही है जो अपना काम ठीक से नहीं कर रहा था।
फिर क्या था, इतना सुनते ही कामचोर सिपाही डर से काँपने लगा और अपनी गलती मानते हुए जहापनाह के पैरो में गिर कर माफ़ी मांगने लगा।
लेकिन बादशाह अकबर ने उसकी एक न सुनी और अपने सिपाहिये से उस कामचोर सिपाही को कारागार में डालने का हुकुम दिया।
और फिर बादशाह अकबर ने खुश होकर बीरबल से कहा, तुम्हारी बुद्धिमानी की मैं दाद देता हूँ। सच में, तुम्हारे जैसा समझदारऔर बुद्दिमान इस संसार में कोई नहीं
कितनी आसानी से तुमने इसका पता लगा लिया। वाह बीरबल वाह! शहबाश !
बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, “जहाँपनाह, सच हमेशा अपने आप बाहर आ जाता है”।
नैतिक शिक्षा
ईमानदारी ही सबसे बड़ी नीति है। झूठ और चोरी कभी न कभी पकड़ी ही जाती है।